Monday, December 30, 2013

लोगों को टैंकर से पानी देने का खर्च कौन देगा दिल्ली सरकार या आम आदमी.

दिल्ली के लोगों को 1000 लीटर पानी कम मिलेगा,इसमें कोई परेशानी नहीं है,क्योंकि इस ठण्ड में बहुत कम पानी से नहाने का काम हो जाता है.परेशानी इस बात की है की मुफ्तपानी केवल 3 महीने तक ही मिलेगा,वो भी उन लोगों को जिनके पास मीटर है.जबकि ‘आप’ को जिन लोगों ने वोट दिया था उनके पास मीटर ही नही है.इन्हें टैंकर से पानी मिलेगा या नही,टैंकर का पैसा कौन देगा दिल्ली सरकार या ‘आम आदमी’?
कुछ दिनों से बीमार केजरीवाल दिल्ली सरकार के खर्चे पर अपनी खाँसी और दस्त का इलाज करवा लेंगे.तब तक चाहें तो लोग एक मित्र की ताजातरीन गीत गुनगुनाएं.”होश वालों को खबर क्या,दस्त भी क्या चीज है,दस्त लगे फिर खांसिये,पता लगे क्या चीज है?

Friday, December 27, 2013

अमिताभ बच्चन ने अपने प्रशंसकों को निराश किया है.

अमिताभ बच्चन ने राज ठाकरे जैसे अपराधी और मूर्ख के साथ बैठ कर अपने चाहने वालों को निराश किया है.नेता और अपराधी में एक फर्क होता है,नेता सिस्टम के साथ चलता है और अपराधी सिस्टम तोड़ कर चलता है.भारत का सिस्टम कहता है कि कोई भी भारतवासी देश के किसी भी हिस्से में किसी के भी साथ कितने भी वक्त तक रह सकता और नौकरी या बिज़नेस कर सकता है.
राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों को मारपीट कर भगाने का काम किया,जो कोई अपराधी ही कर सकता है,कोई नेता नही ऐसा नही कर सकता.राज ठाकरे एक तरफ उत्तर भारतीयों को मारपीट कर भगाता और दूसरी तरफ वह उत्तर भारतीय अमिताभ बच्चन के पैर छूता है,पता नही ऐसा करके वो क्या दिखाना चाहता है?
जिस जगह पर कोई जाना नहीं चाहता उस जगह की पर किसी प्रकार की तरक्की नहीं होती जैसे सोमालिया,बांग्लादेश,नेपाल,पूर्वी उत्तर प्रदेश भारत के नक्सलवादी क्षेत्र ईत्यादि.जिस जगह पर तमाम लोग जातें हैं वहाँ बेजोड़ तरक्की होती है,जैसे लन्दन,न्यू यॉर्क,पेरिस,बीजिंग,हांगकांग,सिंगापूर,दुबई, सुरत,बंगलौर,दिल्ली,मुंबई इत्यादि.यहाँ आने वाला व्यक्ति पूँजी,ज्ञान,कला,श्रम लेकर आता है.हर आने वाला नया व्यक्ति उस जगह कम से कम 5 आदमियों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है,वह किसी के होटल में खाना खाता,कहीं कपड़े खरीदता,सिलवाता,और धुलवाता है,कहीं राशन खरीदता,किसी की टैक्सी में बैठता,किसी के सिनेमा हॉल में सिनेमा देखता है तो वहाँ चतुर्दिक विकाश होता है.और जिस जगह से लोगों का पलायन होता है,वहाँ से जाने वाला हर व्यक्ति कम से कम 5 व्यक्तियों की आमदनी कम करके चला जाता है,जिससे वह क्षेत्र और पिछड़ा हो जाता है.
समझदार नेता लोगों को अपने यहाँ आने का न्योता देता है ताकि उसके यहाँ तरक्की हो,मगर राज ठाकरे जैसा अपराधी और मूर्ख लोगों को भगाने में रूचि रखता है,और उसके जैसे अपराधी को वहाँ की सरकार गिरफ्तार न करके एक प्रकार से उसका साथ दे रही है,तथा अमिताभ बच्चन उसके साथ मंच पर बैठते हैं.लगता है अमिताभ बच्चन के अंदर का बुद्धिजीवी और एंग्री यंगमैंन मर चुका है.

Thursday, December 26, 2013

केजरीवाल,जॉनी वाकर,राजू श्रीवास्तव और कपिल शर्मा देश के चार सबसे बड़े जोकर हैं.

श्री अरविन्द केजरीवाल,जॉनी लीवर,राजू श्रीवास्तव और कपिल शर्मा देश के चार बड़े जोकर हैं,हालाँकि चारों अलग-अलग प्रकार से जोकरई करते हैं.जहाँ कपिल शर्मा द्विअर्थी भाषा से हँसाते है,राजू श्रीवास्तव लोगों को हँसाते हुए स्वयं भी हँसते हैं,जॉनी लीवर स्वयं बिना हँसे लोगों को हँसाते है और श्री अरविन्द केजरीवाल अपने पाखंड के कारन लोगों को हँसाते हुए स्वयं हँसी के पात्र बन जाते हैं.आज बहुत से लोगो के नौटंकी कहते ही दिमाग में केजरीवाल की तस्वीर बनने लगती है.डर है की लगातार नाटकीय सीरियल बनाने वाली एकता कपूर इनके चलने वाले अंतहीन नाटकों से घबरा कर कहीं कुछ ऐसा वैसा न कर बैठे.
जिस भ्रष्टाचारी दुर्योधन से लड़ने वाला अर्जुन बनने का दावा करते थे,उसी दुर्योधन की गोद में जाकर वे बैठ गए,कहीं किसी ‘गीता’ का जन्म नहीं हुआ और श्रीकृष्ण तथा जनता माथा पीट कर रह गई.पिछले चुनाव में बीजेपी 32 सीट पाकर 4 सीट का जुगाड़ नही कर पाई और जिस कांग्रेस से इनका ३६[36] का आंकड़ा था,उसी कांग्रेस की 8 सीटो से अपनी 28 सीटों को मिलाकर वे बहुमत के 36 के आंकड़े तक पहुँच गए.अब इसे उनका कांग्रेस से ‘गठ बंधन’ कहें या ‘ठग बंधन.अपने बच्चे की झूठी कसम खाकर इनके द्वारा सरकार बनाना ये साबित करता है वे नेता बनने के लिए ही पैदा हुए थे अफसर बनने के लिए नही.
आज कल इनके चुनाव चिन्ह झाड़ू को लेकर कई गानों की पैरोडियाँ लोगों के जुबान पर चढ़ गई है.[1] झाड़ू के तिनके से तुझको सजा कर,कचरे के डिब्बे में तुझ को बिठा कर,रखूंगा नाली के पास,मत होना ‘आप’ उदास.[2]झाड़ू को थोडा राउंड घुमा के,अन्ना के जैसा टोपी लगा के,तौकीर बुखारी से हाथ मिला के,दिल्ली वालों को उल्लू बनाके,केजरी डांस,केजरी डांस,केजरी डांस.
इस तरह के मजाक सिर्फ इसलिए हो रहे हैं कि राजनीति के गाय के गोबर से अपनी राजनैतिक जमीन को लीप कर पवित्र करते हुए वे अपने विरोधियों के मुँह पर उसी गोबर को लपेट देते हैं

Monday, December 23, 2013

केजरीवाल की राजनीति वैश्यावृति से भी गई गुजरी है.

वैश्यावृति संसार का सबसे पुराना धंधा है,राजनीति उसके बाद दूसरा सबसे पुराना धंधा है.श्री अरविन्द केजरीवाल के कहने और करने में इतना अंतर है कि पता ही नही चलता की राजनीति कब वैश्यावृति में और वैश्यावृति कब राजनीति में बदल जाती है.
बीजेपी और कांग्रेस दोनों को गालियाँ देने वाले केजरीवाल अब कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने की तैयारी कर रहे हैं.सबसे ज्यादा अखरने वाली बात केजरीवाल के ट्विटर एकाउंट को देखने पर मिलती है.इसमें उनके 8,93,965 फोलोवर हैं तथा उन्होंने 72 लोगों को फॉलो किया है, जिनमे कांग्रेसी नेता शशि थरूर और दिग्विजय सिंह ही नही बीजेपी नेता विजय गोयल और सुब्रमनियन स्वामी भी शामिल हैं.और तो और आर एस एस के राम माधव ही नही बीजेपी के ऑफिसियल एकाउंट को भी वे फ़ॉलो करते हैं.
किसी को भी फ़ॉलो करना बुरी बात नही है.कोई अमिताभ को ,कोई सचिन को,कोई मोदी को तो कोई सनी लीओन को फ़ॉलो करता है,मगर कोई भी अपने द्वारा फ़ॉलो किये गए व्यक्ति को गालियाँ नही देता,जैसा की श्री अरविन्द केजरीवाल करते हैं.
बीजेपी अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह के 1,37,103 फोलोवर हैं,और सिर्फ 1 को फॉलो करते हैं,बीजेपी को जिसके वे स्वयं अध्यक्ष भी हैं,तो इसमें कोई बुराई नही है.श्रीमती वसुंधराराजे सिंधिया किसी को भी फॉलो नही करती और उनके 42,732 फोलोवर हैं.श्री नरेन्द्र मोदी के 30,27,753 फोलोवर हैं,और वे 886 लोगों को फ़ॉलो करते हैं.ये तीनो नेता अपने अपने स्थान पर सफल भी हैं,और केजरीवाल की तरह पाखंडी भी नही हैं.
राजनीति विज्ञान की पढाई भले ही कला [Arts] में जाती हो मगर है वह विज्ञान [science] ही.केजरीवाल जैसे कलाकार कलाबाजियाँ खाते हुए जब राजनीति में आते हैं,तो राजनीति सुहागिन या विधवा नही होती वैश्या हो जाती है.

Sunday, December 22, 2013

नाटक करना कोई केजरीवाल और जौर्ज बर्नाड शॉ से सीखे.

नाटक करना कोई श्री अरविन्द केजरीवाल और जॉर्ज बर्नार्ड शॉ से सीखे. बर्नार्ड शॉ को जब नोबेल प्राइज मिला,तो उन्होंने नोबेल प्राइज लेने से इन्कार कर दिया.स्वाभाविक था की हंगामा मचे,और मचा भी.बाद में लोगों के अनुरोध पर उन्होंने नोबेल ले लिया और उससे प्राप्त सारी रकम को “फेबियन सोसाइटी” को दान कर दिया.इसके बाद फिर हंगामा मचा,लोगों ने उनके दान की खूब चर्चा हुई.यह तो बाद में पता चला कि “फेबियन सोसाइटी” का मुख्य कर्ता-धर्ता बर्नार्ड शॉ खुद था.भला यह भी कोई बात हुई कि नोबेल प्राइज मिले और प्रचार भी न हो.
इसी प्रकार श्री अरविन्द केजरीवाल नाटक कर रहे हैं.जिससे उन्हें भरपूर प्रचार भी मिल रहा है.प्रचार की रही-सही कसर पूरा करने के लिए वे इनदिनों सोशल मीडिया पर भरपूर विज्ञापन भी दे रहे हैं.मुख्य-मंत्री की कुर्सी के पीछे कांग्रेस ‘सेंटर फ्रेश’ का चश्मा श्री केजरीवाल को दिखा रही है,जिसे देख कर केजरीवाल की जीभ लपलपा रही है.रही बात जनता के राय की,तो श्री केजरीवाल अच्छी तरह जानते हैं की आम जनता जल्दी-जल्दी चुनाव नही चाहती है,तो उसका निर्णय केजरीवाल को मुख्य-मंत्री बनाने का ही होगा.तब तक इनका प्रचार होता रहेगा.

Wednesday, December 18, 2013

गुड़ खाकर गुलगुले से परहेज़ करना कोई केजरीवाल से सीखे.

गुड़ खा कर गुलगुले से परहेज करना कोई केजरीवाल से सीखे,इतने नखरे तो कोई सुंदर लड़की भी शादी करने के लिए नही करती जितना केजरीवाल सरकार बनाने में कर रहे हैं.इनके द्वारा S.M.S.द्वारा जनता की राय लेना वैसा ही है जैसा कांग्रेसियों द्वारा M.M.S.[Man Mohan Singhसे राय लेना.हर समय “लापता गंज” के P.W.D.के बाबू की तरह कहते रहना की मुझसे किसी ने कहा ही नही.
हो सकता है की दिल्ली की जनता के द्वारा मुख्यमंत्री बनने पर हां कहने के बाद वे प्रधानमंत्री बनने के लिए भारत के साथ-साथ बांग्लादेश,भूटान,नेपाल और श्रीलंका की जनता से भी S.M.S.करवाएं की वे सरकार बनाएं या नही.पहले लोगों को मूर्ख बनाने के लिए लोग उसे झाड़ पर चढ़ा देते थे,केजरीवाल लोगों को मूर्ख बनाने के लिए झाड़ू पर चढ़ा देते हैं.
बीजेपी को दिल्ली में सबसे ज्यादा सीटें मिली,आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का साथ मिला,दिल्ली की जनता को मिला बाबा जी का “ठुल्लू”.जस्टिस काटजू ने 90% भारतियों को मूर्ख कहा था,दिल्ली की जनता को मूर्ख बनते देख आज वे भी अपनी बात को सच होते देखकर मुस्कुरा रहे होंगे.
अधूरी गुरु-भक्ति,अधूरा घेराव,अधूरा आन्दोलन,अधूरा अनशन,अधूरी नौकरी,और अब अधूरी सरकार मगर घमंड एकदम पूरा.ऐसे हैं हमारे श्री अरविन्द केजरीवाल.ये पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण करने पर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भी जनता से S.M.S.द्वारा राय माँग सकते हैं.

Saturday, December 7, 2013

साम्प्रदायिक हिंसा बिल का विरोध हर हाल में होना चाहिए.

रावण को चाहने वाला कोई हिंदु किसी मस्जिद में आग लगा दे,तब राम को चाहने वाला हिंदु भी इस साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल के चपेट में आ जायेगा.औरंगजेब, जिन्ना,और ओवैसी को चाहने वाला यदि किसी मन्दिर में आग लगा दे,तब अमीर खुसरों,रहीम,रस खान,जायसी,हज़रत निजामुद्दीन औलिया के रास्ते पर चलने वाला मुसलमान भी इस साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल की चपेट में आ जायेगा.
जिसने बलात्कार किये,घर-दूकान लुटे,कत्ल किये उन्हें सजा न देकर बहु-संख्यक समाज को सजा देना कहाँ का इन्साफ है?जिस व्यक्ति ने अपराध किये,ऐसे व्यक्तियों को पकड़ कर फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में तेजी से सुनवाई करवा कर मृत्यु दंड दे दिया जाए,तो किसी साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल की आवश्यकता नही रह जाएगी.मगर जो सरकार 1984 ईस्वी में मारे गए सिक्खों के हत्यारों को 29 साल बीत जाने के बाद भी सजा न दिलवा पाई हो,उससे इस बात की उम्मीद करना ही बेकार है कि वो ऐसा करेगी,हाँ अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए वह साम्प्रदायिक हिंसा बिल जरुर ला सकती है,जिसका विरोध हर हाल में होना ही चाहिए.

अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए कांग्रेस साम्प्रदायिक हिंसा बिल लाई है.

साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल और कुछ नहीं,सिर्फ अपनी नाकामियों को छिपाते हुए वोटो का ध्रुवीकरण अपनी तरफ करने की कोशिश है.
आज से 25 -30 साल पहले जितने दंगे होते थे,उतने दंगे पिछले 10 -12 सालों से नही हो रहे हैं.सरकारी समाजवाद लाने की कोशिसों ने 1991 ईस्वी तक देश को ही दिवालिया होने के कगार पर नही पहुंचाया,लोगों को बेरोजगारी के चरम शिखर तक भी पहुँचा दिया था.खाली दिमाग शैतान का घर होता है,यही खाली दिमाग वाले लोग दंगा करते हैं.
1991 ईस्वी के बाद सरकारी तंत्र को थोड़ा ढीला किया गया,जिसका नतीजा ये हुआ की रोजगार कार्यालयों में भीड़ कम हुई और लोगों को निजी क्षेत्रों में काम मिलने लगा और दंगों में भारी गिरावट हुई.गुजरात में पिछले 10 सालों में यदि कोई दंगा नही हुआ तो उसका कारण है वहाँ की समृद्धि और सख्त कानून व्यवस्था.
बहुत ज्यादा टैक्स बढाने से गरीबी बढ़ती है,जो दंगे का सबसे बड़ा वजह बन जाती है.आजादी के बाद देश के पहले बजट में जनता से 200 करोड़ रूपये का भी टैक्स नही लिया गया था जबकि पिछला बजट लगभग 17 लाख करोड़ रुपये का था.यदि चार आदमियों का एक परिवार होता है,तो प्रति परिवार देश के पहले बजट में 30 रुपया टैक्स देना पडा जबकि पिछले बजट में ये रकम बढ़ कर 56000 रूपये तक पहुँच गयी.टैक्स से प्राप्त अधिकांश पैसे सरकारी खर्चों और भ्रष्टाचार में खत्म हो जाते हैं.आम जनता तक बहुत कम पैसे पहुँचते हैं जिससे उसकी गरीबी बढ़ती है और दंगे पनपते हैं.
यदि टैक्स कम करके सख्त कानून लागू किये जाएँ तो दंगे नही होंगे और किसी साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल की आवश्यकता नही होगी.

Tuesday, November 26, 2013

श्री अरविन्द केजरीवाल की ईमानदारी पाखंड के सिवाय कुछ नही लगती है.यदि वे ईमानदार होते तो चन्द खुलासे ही नही करते,उन खुलासों के आधार पर केस करके उसे अंजाम तक भी पहुँचाते.अन्ना हजारे,स्वामी राम देव,किरण बेदी,संतोष हेगड़े का इस्तेमाल करके वे उन्हें छोड़ देते हैं.पाकिस्तानी और चीनी घुसपैठ पर एक शब्द भी नही कहते.
राजनीति में कुछ भी मुफ्त नही होता,एक हाथ दे दूसरे हाथ ले,यही होता है.फिर इन्हें किस बात के लिए विदेशों से करोड़ों रुपए मिले हैं.इनका यह कहना भी बकवास लगता है कि करोड़ों रुपए कमा सकने वाली नौकरी को छोड़ कर वे राजनीति में आए हैं,जब राजनीति का मोर हाथ में आ रहा हो,तब नौकरी के कबूतर को पकड़ें रखना इमान्दारी नहीं,चालाकी कहलाती है.
श्री केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से बिजली का बिल न भरने को कहा,श्री प्रशांत भूषण ने बिल जमा कर दिया,फिर भी वे इनकी पार्टी में बने रहे.जामा मस्जिद के बिजली बकाये पर भी वे एक शब्द नही कहते हैं.किसी की कटी हुई लाइन को जोड़ना गैर-कानूनी है,श्री केजरीवाल कटी हुई लाइन को जोड़ने का गैर-कानूनी काम करते हैं और दिल्ली सरकार उन्हें गिरफ्तार नही करती है.15 सालों में श्री अरविन्द केजरीवाल का एक बार भी ट्रान्सफर नही होता,और हरियाणा के आई.ए.एस.अफसर श्री अशोक खेमका का 21 साल में 44 बार ट्रान्सफर होता है,कौन ज्यादा इमान्दार है,समझना मुश्किल नही है.
श्री केजरीवाल की और ऐसी 3 प्रकार की ईमानदारी किस काम की.[1]एक सज्जन इस डर से अपनी पत्नी के साथ नही सोते थे कि कहीं उनके रखैल के साथ बे-ईमानी न हो जाए.[2]पश्चिम बंगाल के इमानदार कम्युनिस्टों ने पूरी इमान्दारी से पुरे बंगाल के उद्योगों को चाट लिया और बंगाल के उपर 2 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ लाद कर ही चैन की साँस लिया.[3]पंजाब से 20 नौकरों के साथ दिल्ली आ रहे एक सरदार से जब टी.टी. ने टिकट माँगा तब सरदार ने टिकट देने से इन्कार किया और ट्रेन के रुकते ही भाग निकला,टी.टी.ने उसे खदेड़ कर पकड़ा और टिकट माँगा,सरदार जी ने उसे टिकट दिया.टी.टी.ने सरदार से पूछा जब टिकट था तब तुम क्यों भागे?इस पर सरदार ने कहा मैं इमानदार हूँ टिकट ले कर चलता हूँ, मगर मेरे साथ चल रहे लोग बगैर टिकट थे,जब आप मेरा पिछा कर रहे थे,तो उसकी आपाधापी में सभी भाग गए.

Monday, November 25, 2013

श्री अरविन्द केजरीवाल की मानसिकता हिंदुत्व और हिंदुस्तान के प्रति कम,पाकिस्तानी नजरिये की ओर अधिक झुकी हुई नजर आती है.उनकी सभाओं में भारत माता की तस्वीरों का हटाया जाना,वंदेमातरम् का गान न होना,गौ-हत्या पर कुछ न कहना,राम कृष्ण चाणक्य महाराणा प्रताप शिवाजी इत्यादि पर कुछ न कहना उनके हिंदुत्व विरोधी होने का पुख्ता प्रमाण है.कुमार विश्वाश द्वारा जब तब हिंदु देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया जाता है.यही नहीं वे हिंदु मंदिरों के पैसे को सरकार द्वारा वसूलने और मुसलमानों को हज करने पर सरकारी सब्सिडी पर भी कुछ नहीं बोलते हैं.
इसके विपरीत वे पाकिस्तानियों के द्वारा भारतीय सैनिकों के सर काट लेने और आतंकवादी गतिविधियों पर भी कुछ नहीं कहते हैं.प्रशांत भाषण के द्वारा काश्मीर को भारत का हिस्सा मानने से इन्कार करने के बावजूद पार्टी में बने रहना क्या साबित करता है?मुस्लिमो की बढती जन संख्या पर कुछ न कहना और उन्हें आरक्षण देने की बात करना,बांग्ला देशियों की घुसपैठ को नज़र अंदाज़ करना क्या साबित करता है?
ऐसा लगता है की हिंदु और हिंदुस्तान को कमजोर करते हुए पाकिस्तानी मानसिकता को बढ़ावा देना ही श्री अरविन्द केजरीवाल का मुख्य उद्देश्य है.

Friday, November 22, 2013

तहलका संपादक तरुण तेजपाल पर यदि आशाराम की तरह ही समाचार पत्र और चैनल मीडिया ट्रायल करके उसे उसके अंजाम तक नही पहुँचाते है,तो इनका बहिष्कार करें.जब समाचार पत्र की बिक्री और समाचार चैनलों की टी.आर.पी.घटेगी तब ये मजबूरी में आगे आएंगे.
इसी प्रकार जो महिला संगठन और पार्टियाँ एक अनाम महिला के जासूसी के खिलाफ वक्तव्य और प्रदर्शन कर रहे थे,यदि वे तहलका संपादक की गिरफ्तारी के खिलाफ आगे नहीं आएँ,तो उन्हें वोट देना बंद करें,ताकि राज नीति में अच्छे लोग सामने आ सकें.

तहलका संपादक तरुण तेजपाल के उपर होने वाले केस में नशे की हालत में होने का लाभ नहीं मिलना चाहिए.शराब अपने आप में भली या बुरी चीज नहीं है,अन्यथा जीसस क्राइस्ट,जरथ्रुस्त्र,उपेन्द्र नाथ अश्क,सरदार खुशवंत सिंह,विंस्टन चर्चिल,बाल ठाकरे जैसे नामी-गिरामी लोग शराब नहीं पीते. शराब यदि बुरी ही होती तो एलोपैथी के जन्मदाता हिप्पोक्रेटस भय,अनिंद्रा,थकान,सर्दी जुकाम में लेने की सलाह न देते.
कोई भी शराबी आज तक शराब पीकर किसी थाने में नहीं पहुँचा और न ही जंगल में रहने वाले किसी आदिवासी ने शराब पीकर किसी महिला के साथ बलात्कार किया.कोई कितनी भी शराब पी ले पहूँचता अपने घर पर ही है.
अलबत्ता शराब में ऐसी कोई चीज जरुर होती है,जिससे आप की असलियत बाहर आ जाती कि आप के अन्दर देवता बैठा है या जानवर,इसमें कोई एक्टिंग नहीं कर सकता है.बहुत से तथा कथित भले आदमी इसीलिए शराब का विरोध करते हैं की कहीं शराब पीने के बाद उनके अन्दर का जानवर लोगों को दिख न जाए.
शराब की आड़ में यदि तहलका संपादक बचना चाहे तो इसका घोर विरोध करते हुए उसे कानून के कटघरे में खड़ा करने के लिए सोशल मीडिया और महिला संगठनों को आगे आना चाहिए.

Thursday, November 21, 2013

तहलका के संपादक तरुण तेजपाल दूसरों को नंगा करते-करते खुद ही नंगा होकर तहलका मचा रहे हैं.दूसरों की C.D. जारी करने वाले तेजपाल अपनी खुद की C.D.कब जारी करेंगे?.क्या बिकाऊ मीडिया आशा राम की तरह तेजपाल का मीडिया ट्रायल करके तहलका मचाएगा या 60 साल के तेजपाल पर खमोशी बरतते हुए आशाराम का मीडिया ट्रायल ही करता रहेगा.
एक अनाम लडकी की जासूसी पर चीखने वाली महिला मण्डली तेजपाल पर चुप्पी साध कर विधवा-विलाप ही करती रहेगी या तहलका मचाएगी.मीडिया को आशाराम की तरह ही तेजपाल पर भी तहलका मचाते हुए उसे कानून के शिकंजे में डालना चाहिए.जब अफसर,नेता,उद्योग-पति,फिल्म एक्टर ही नही जज भी कानून के दायरे में आ रहे हों तब पत्रकार को कोई छुट क्यों?
तरुण तेजपाल ने माफ़ी मांगते हुए 6 महिना काम न करने की बात की है.कोई दूसरा आदमी तेजपाल की बेटी का यौन-उत्पीडन करे,और माफ़ी मांगते हुए 6 महीना काम न करने की बात कहे तो क्या उसका मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए,या महिला-मण्डली कुछ न कहे और उसे कोई सजा न मिले?

Wednesday, November 20, 2013

श्री नारायण साईं को खोजना बहुत आसान है.इसे तीन घटनाओं से जोड़ कर समझें.पहली घटना में एक सर्कस के शो में पिंजरे से शेर बाहर निकल आया ये देख कर दर्शकों में भगदड़ मच गई.एक संत भी शो देख रहे थे,वे जाकर सीधे शेर के पिंजरे में घुस गए.लोगों ने उनसे कहा आप ये क्या कर रहे हो?इस पर संत ने कहा मै सबसे ज्यादा सुरक्षित पिंजरे में ही हूँ,शेर चाहे जहाँ जाए पिंजरे में कभी नही आयेगा.
दूसरी घटना में ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने वर्षों तक पूरी दुनियाँ में खोजा,वह कहीं नहीं मिला,मिला भी तो ऐबटाबाद[पाकिस्तान]की सेना की छावनी के बगल में.
तीसरी घटना इसी साल पूजा की तीन दिन की छुट्टियों के दौरान राँची में घटी,जहाँ एक सोने-चाँदी के दुकान में झारखण्ड और बिहार में हुई अब तक की सबसे बड़ी चोरी हुई.चोरों ने माल के साथ-साथ सी.सी.टी.वी. कैमरे को भी चुरा लिया और कोई भी सुराग नहीं छोड़ा.वो तो भला हो उस आदमी का जिसने राँची के एस.एस.पी.को फ़ोन से इस बात की सूचना दी कि सारा सोना-चाँदी दुकान के पानी की टंकी में रखा हुआ है,और सारा माल वहीं मिला.
मेरा तो यही मानना है की श्री नारायण साईं देश के किसी थाने के बगल में छिपे होंगे,मगर एक दुसरे जानकार के अनुसार वो अपने चरित्र के अनुसार थाईलैंड में होंगे.इन्ही दो जगहों पर खोजनें से सफलता जरुर मिलेगी.

सबसे बड़े सच लिखे नहीं बोले गए हैं. जिन्होंने सच को जाना उन्होंने कहा है,और जो उन्होंने कहा है उसे उनके शिष्यों ने लिखा है जिसे हम ग्रन्थ के नाम से जानते हैं. इन ग्रन्थों को पढ़ने से ग्रंथियां[complex]नही होती है.न किसी प्रकार ही हीन ग्रन्थि[Inferiority complex]होती है,और न ही कोई उच्च ग्रन्थि[superiority complex]होतीहै.
इन ग्रन्थों को पढने में एक सावधानी रखने की जरुरत होती है.विदेशी आक्रमण कारियों ने गीता और गुरु ग्रन्थ साहिब को छोड़ कर अधिकांश धर्म ग्रन्थों में कुछ झूठी बातें लिखवा दी हैं.यदि आप अपने बुद्धि का उपयोग करते हुए इन ग्रन्थों को पढ़ते हैं तो इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है.आपके बुद्धि के तेज आग में ये झूठी बातें गीली लकड़ी की तरह धुआँ देने लगती हैं,इन्हें छोड़ कर ज्ञान की सूखी लकड़ियों को पकड़ें और उसके आग से अपने आपको सुखी बनाएं.
यदि आप चाहें तो ग्रन्थों को पढने के लिए इस लिंक पर click कर सकते हैं. http://vedpuran.net

Monday, November 18, 2013


“राम लीला” के बदले “संजय लीला”नाम होना चाहिए था ,संजय लीला भंसाली की नवीनतम फिल्म का.इस फिल्म को ध्यान से देखने पर लगता है फिल्म केवल राम को बदनाम करने के लिए ही नहीं बनाई गई है,बल्कि गुजरात और हिन्दुओं को भी बदनाम करने के लिए भी बनाई गई है. ये फिल्म उत्तराखंड के बादल फटने के बाद बनाई गई है तथा ठीक चुनावों के समय रिलीज़ की गई है. मकसद एक दम साफ़ है इन चुनावों में भा. ज. पा. और मोदी को नुकसान करते हुए एक दल-विशेष की मदद करना.अन्यथा जिस प्रकार की हथियारों के बाजार को दिखाया गया है,वैसे बाज़ार शायद कभी बिहार और कश्मीर लगते होंगे,मोबाइल का प्रयोग करने वाले हीरो हीरोइन के ज़माने अर्थात् वर्तमान मोदी के गुजरात में तो असंभव है.इस फिल्म को धार्मिक हिंदु शायद ही देखे,अलबत्ता सेकुलर और अधर्मी जरूर देख सकते हैं.

Sunday, November 10, 2013

सोने की खुदाई एक मज़ाक बन कर रह गई है.सरकार[शोभन]सपना देखती है और महन्त[मंत्री]खुदाई करने के आदेश देता है.10क्विंटल का 1 टन होता है.1000 बैलगाड़ियों में 1 टन सोना लद कर गया होगा और संसार के सबसे बड़े लुटेरे अंग्रेजो को इसकी भनक तक नहीं लगी,ऐसा हो ही नहीं सकता.
सपने पर तीन छोटी कहानियां.एक लड़की ने सपने में देखा की उसके सपनों का राजकुमार उसे घोड़े पर बैठा कर कहीं ले जा रहा है.लड़की ने पुछा ऐ मेरे सपनो के राजकुमार तुम मुझे लेकर कहाँ जा रहे हो?इस पर राजकुमार ने कहा मै क्या जानूँ,सपना तुम देख रही हो,तुम जानों कि मै तुम्हे कहाँ ले जा रहा हूँ.
राजा हरिश्चंद्र को विश्वामित्र ने सपने में आकर कहा कि तुम मुझे अपना राज्य सौंप दो.नींद खुलने के बाद विश्वामित्र ने कहा राजन,सपने में मैंने तुमसे राज्य माँगा था अब तुम मुझे दे दो और हरिश्चंद्र ने अपना राज्य उन्हें दे दिया.
20 वीं शताब्दी में एक बार फिर जन्म लेकर हरिश्चंद्र फिर राजा बने.फिर एक बार सपने में विश्वामित्र ने आकर राज्य माँगा. नींद खुलने पर हरिश्चंद्र से कहा राजन मैंने तुमसे सपने में राज्य माँगा था,अब तुम मुझे दे दो.इस बार सावधान हो चुके हरिश्चंद्र ने कहा “आपने मुझसे सपने में राज्य माँगा अब सपने में आकर ले लेना.
उन्नाव जिले के डोंडीयाखेडा में सोना खुदाई करने पर कत्तई नहीं मिलेगा मगर भारत सरकार तीन बातें जरूर कह सकती है.[1]सारा सोना शोभन सरकार सपने में ही निकाल ले गए.[2]सारा सोना R.S.S.के स्वयंसेवक निकाल ले गए.[3]सोना गायब करवाने में विदेशी शक्तियों का हाथ है.

Thursday, November 7, 2013

श्री नरेन्द्र मोदी का रिमोट कई आदमियों के हाथ में है,ऐसा एक सज्जन का मानना है. उनके अनुसार परिवार के हेड आदमी के पास ही टेलीवीजन का रिमोट होता है. उनके अनुसार पहला रिमोट स्वामी रामदेव के हाथों में है,क्योंकि वे साधु-संतों,सन्यासियों, महात्माओं के हेड हैं, और वे श्री नरेन्द्र मोदी को समर्थन दे रहे हैं.
उनके अनुसार दूसरा रिमोट कण्ट्रोल कॉरपोरेट घरानों के पास है,क्यों कि वे श्री नरेन्द्र मोदी की सभाओं और रैलिओं के लिए पैसा लगा रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि अगले चुनाव में जब मोदी चुनाव जीत जायेंगे,तब उन्हें अमेरिका आने का वीसा देकर अमेरिका कहेगा की अमेरिका दुनियाँ का हेड है,इसलिए मोदी का रिमोट उसके हाथ में होना चाहिए.
यहाँ उन सज्जन से विनम्रता पूर्वक सिर्फ इतना ही कहना है कि वो श्री मोदी को समझ ही नहीं पाए.श्री मोदी अपनी रणनीति बना कर अच्छी तरह लड़ने वाले योद्धा हैं.वे पार्टी के अन्दर ही नहीं पार्टी के बाहर भी अच्छी तरह लड़ते है.
अभी हाल में ही श्री राहुल गाँधी को मोदी ने शाहज़ादे कहा,इस पर तिलमिला कर कांग्रेस ने उनको सोंच समझ कर बोलने की चेतावनी दी, मगर इस पर शांत होने की बजाय मोदी ने पटना की हूंकार रैली में यह कह कर जवाब दिया कि कांग्रेस वंश वाद छोड़ दे तो मै शाहज़ादे कहना छोड़ दूंगा.मन मोहन सिंह ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को नेहरु जी के अनुसार धर्म निरपेक्ष कहा,इस पर नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश को बांटने वाली वोट बैंक की धर्म निरपेक्षता के बदले पटेल वाली धर्म निरपेक्षता चाहिए जो देश को एक करते हुए सोमनाथ का मंदिर बनाने का विरोध नहीं करती है. एक लड़ाकू योद्धा अपना रिमोट किसी दुसरे के हाथों में सौपेंगा इसमे संदेह है.आखिर श्री मन मोहन सिंह और श्री नरेन्द्र मोदी में कुछ तो अंतर है ही.

Wednesday, November 6, 2013

कुशल मंगल  रखते हुए मंगल कामना है कि मंगल वार को हुई मंगल यान की मंगल यात्रा मंगल मय हो.

पाकिस्तान के लिए  जीवित नरेंद्र मोदी से ज्यादा  खतरनाक  शहीद नरेन्द्र मोदी साबित होंगे.कोई व्यक्ति जिन्दा रहते हुए  उतना खतरनाक नहीं होता जितना उसकी हत्या हो जाने के बाद हो जाता है. सुकरात  को जहर  दिया गया,जिसका नतीजा ये हुआ कि आज संसार  के सभी  विश्व विद्धयालयों में उनके ऊपर पढाई होती है.जीसस  क्राइस्ट को यहूदियों ने  सलीब पर लटका दिया,जिसका नतीजा ये हुआ की पूरी दूनियाँ की आबादी का 1% आबादी भी यहूदियों को नसीब नहीं है और जीसस को मानने वाले संसार का सबसे बड़ा धर्म समुदाय हैं
महात्मा गाँधी की बातें आजादी के बाद नेहरु  जी तक ने नहीं मानी,अन्यथा पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिलाने के लिए गाँधी जी को आमरण अनशन करने की धमकी नहीं देनी पड़ती.गाँधी जी की हत्या हो गई और गांधीजी की बातें न मानने वाले नेहरु जी को उन्हें राष्ट्रपिता बनाना पड़ गया.1984 ईस्वी में कांग्रेस की हालत बहुत अच्छी नहीं थी,मगर श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या हो गई,जिसका नतीजा ये हुआ की आज़ादी के बाद हुए सारे चुनावों में सबसे बड़ा  बहुमत  कांग्रेस को मिला. हालत यहाँ  तक हो गई की  भा.ज.पा.जैसी राष्ट्रीय पार्टी को केवल 2 सीटों पर संतोष  करना पड़ा.1991 ईस्वी  के लोक सभा चुनावों के आखिरी चरण  में श्री राजीव गाँधी  की हत्या हो गई,आखिरी चरण के चुनावों में कांग्रेस को जितनी सीटें मिली,उससे कम सीटें ही पहले के चुनावों में मिली थीं.                                          श्री नरेन्द्र मोदी जाने-अन्जानेमें पाकिस्तान के लिए कड़वा  करैला बन चुकें हैं,ऐसे में  उनकी हत्या हो  जाने के बाद  उनका कड़वा करैला सहानुभूति के नीम पर चढ़ जाएगा और यदि  ऐसा हो गया तो यह सचमुच पाकिस्तान के लिए बहुत बुरा होगा.

Tuesday, November 5, 2013

पाकिस्तान की आइ. एस. आइ. और इंडियन मुजाहिद्दीन आइ. बी. की रिपोर्ट के अनुसार श्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करना   चाहते हैं .सवाल यह उठता है की मुख्यमंत्री  नरेंद्र मोदी ही  क्यों? और   भी मुख्यमंत्री हैं भारत में जैसे महारास्ट्र के श्री अशोक चौहान,उत्तर प्रदेश के श्री अखिलेश यादव,बिहार के श्री नीतीश कुमार,जम्मू और काश्मीर के श्री उमर अब्दुल्ला इत्यादि.और तो और प्रधानमंत्री श्री मन मोहन सिंह को भी वे नही मारना चाहते हैं .मगर इन सभी को छोड़ कर वे श्री नरेन्द्र मोदी को ही क्यों मारना चाहते  हैं?कहीं ऐसा तो नहीं की ये सभी लोग पाकिस्तान के स्वार्थ पूर्ति में रुकावट नही हैं और श्री नरेन्द्र मोदी रुकावट बन रहें हों?यदि ऐसा वास्तव में सच है और पाकिस्तान ऐसी गल्ती करने जा रहा है तो पाकिस्तान को वैसा ही पछतावा होगा जैसा पाकिस्तान बनवाने के बाद अपने आख़िरी दिनों में मोहम्मद अली ज़िन्ना को और दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका के पर्ल हार्बर सैनिक अड्डे पर आक्रमण करने के बाद जापान को हुआ था.

Monday, November 4, 2013


ओपिनियन पोल पर रोक लगाने की माँग करने वाले केवल अपराधी ही नहीं हैं बल्कि वे प्रजा तंत्र  की मूल जड़ों पर  प्रहार करने वाले भी  हैं.चार्वाकों ने वेदों का विरोध किया,बुद्ध ने संसार को बनाने  वाले ईश्वर  को ही मानने से इन्कार कर दिया,तो हिन्दुओं ने इन सभी को मार तो नहीं दिया,बल्कि उन्हें बोलने की पूरी आज़ादी दी.यदि कोई समाचार पत्र या चैनल ओपिनियन पोल करवा कर ये कहे कि  शरद पवार की  राष्ट्रवादी  कांग्रेस पार्टी  या फारूख अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस  केवल अपने  बलबूते पर  आगामी  लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत कर सरकार  बनाएगी तो  आम  जनता उसे मानने से इन्कार  कर देगी.जनता  इन समाचार पत्रों और चैनलों से दूर हो जाएगी और उनका भट्ठा बैठा  देगी,जिस प्रकार  केबल चैनल देखने वालों में “दूरदर्शन”का बैठा हुआ है.”दूरदर्शन”का दर्शन वे “दूर से दर्शन”ही करते हैं.
                  संसार के अधिकांश प्रजातांत्रिक देशों में इस प्रकार के ओपिनियन पोल  होते हैं तो  इसमे कौन  सी बुराई  आ गई की भारत में ओपिनियन पोल रोक दिए जाएँ.रही  बात की  ये पोल  कोई भी पैसे देकर करवा सकता है,ऐसा कहने वाले भी गलत हैं.ये समाचार पत्र और चैनल तो पैसा लेकर भी ये नहीं बताते कि गोधरा  में  साबरमती  एक्सप्रेस  में कार सेवकों को आग से जला कर मारने वाले किस धर्म और किस पार्टी के थे.वे पैसा लेकर  ये भी नहीं बताएगें कि मुज़फ्फर नगर में जिस लड़की के साथ बदतमीज़ी हुई वह किस धर्म की थी और बदतमीज़ी  करने वाले  किस धर्म और पार्टी के थे.
           ओपिनियन पोल पर रोक लगाने की माँग करने के बजाय यदि वे लोग महंगाई,भेद भाव,भ्रष्टाचार,आतंकवाद पर रोक लगाने का काम करते तो यह प्रजातंत्र के लिए ज्यादा बेहतर होता.

Sunday, November 3, 2013


पुष्पक विमान की यात्रा
इन पँक्तियों को केवल मजाक की तरह लें.इनका धार्मिक भावनासे कोई लेना देना नहीं है.दशहराके दिन लंका को जीत कर भगवान राम पुष्पक विमान से 20दिनों की यात्रा करते हुए दीपावली के दिन अयोध्या पहुँचे.लंका से अयोध्या की दूरी 3000 किलोमीटर है.इसका मतलब एक दिन में पुष्पक विमान केवल 150  किलोमीटर  ही जा  सकता था.क्या  आधुनिक  समय में उस पुष्पक विमान से आप यात्रा करना चाहेंगे ?