Tuesday, November 26, 2013

श्री अरविन्द केजरीवाल की ईमानदारी पाखंड के सिवाय कुछ नही लगती है.यदि वे ईमानदार होते तो चन्द खुलासे ही नही करते,उन खुलासों के आधार पर केस करके उसे अंजाम तक भी पहुँचाते.अन्ना हजारे,स्वामी राम देव,किरण बेदी,संतोष हेगड़े का इस्तेमाल करके वे उन्हें छोड़ देते हैं.पाकिस्तानी और चीनी घुसपैठ पर एक शब्द भी नही कहते.
राजनीति में कुछ भी मुफ्त नही होता,एक हाथ दे दूसरे हाथ ले,यही होता है.फिर इन्हें किस बात के लिए विदेशों से करोड़ों रुपए मिले हैं.इनका यह कहना भी बकवास लगता है कि करोड़ों रुपए कमा सकने वाली नौकरी को छोड़ कर वे राजनीति में आए हैं,जब राजनीति का मोर हाथ में आ रहा हो,तब नौकरी के कबूतर को पकड़ें रखना इमान्दारी नहीं,चालाकी कहलाती है.
श्री केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से बिजली का बिल न भरने को कहा,श्री प्रशांत भूषण ने बिल जमा कर दिया,फिर भी वे इनकी पार्टी में बने रहे.जामा मस्जिद के बिजली बकाये पर भी वे एक शब्द नही कहते हैं.किसी की कटी हुई लाइन को जोड़ना गैर-कानूनी है,श्री केजरीवाल कटी हुई लाइन को जोड़ने का गैर-कानूनी काम करते हैं और दिल्ली सरकार उन्हें गिरफ्तार नही करती है.15 सालों में श्री अरविन्द केजरीवाल का एक बार भी ट्रान्सफर नही होता,और हरियाणा के आई.ए.एस.अफसर श्री अशोक खेमका का 21 साल में 44 बार ट्रान्सफर होता है,कौन ज्यादा इमान्दार है,समझना मुश्किल नही है.
श्री केजरीवाल की और ऐसी 3 प्रकार की ईमानदारी किस काम की.[1]एक सज्जन इस डर से अपनी पत्नी के साथ नही सोते थे कि कहीं उनके रखैल के साथ बे-ईमानी न हो जाए.[2]पश्चिम बंगाल के इमानदार कम्युनिस्टों ने पूरी इमान्दारी से पुरे बंगाल के उद्योगों को चाट लिया और बंगाल के उपर 2 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ लाद कर ही चैन की साँस लिया.[3]पंजाब से 20 नौकरों के साथ दिल्ली आ रहे एक सरदार से जब टी.टी. ने टिकट माँगा तब सरदार ने टिकट देने से इन्कार किया और ट्रेन के रुकते ही भाग निकला,टी.टी.ने उसे खदेड़ कर पकड़ा और टिकट माँगा,सरदार जी ने उसे टिकट दिया.टी.टी.ने सरदार से पूछा जब टिकट था तब तुम क्यों भागे?इस पर सरदार ने कहा मैं इमानदार हूँ टिकट ले कर चलता हूँ, मगर मेरे साथ चल रहे लोग बगैर टिकट थे,जब आप मेरा पिछा कर रहे थे,तो उसकी आपाधापी में सभी भाग गए.

Monday, November 25, 2013

श्री अरविन्द केजरीवाल की मानसिकता हिंदुत्व और हिंदुस्तान के प्रति कम,पाकिस्तानी नजरिये की ओर अधिक झुकी हुई नजर आती है.उनकी सभाओं में भारत माता की तस्वीरों का हटाया जाना,वंदेमातरम् का गान न होना,गौ-हत्या पर कुछ न कहना,राम कृष्ण चाणक्य महाराणा प्रताप शिवाजी इत्यादि पर कुछ न कहना उनके हिंदुत्व विरोधी होने का पुख्ता प्रमाण है.कुमार विश्वाश द्वारा जब तब हिंदु देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया जाता है.यही नहीं वे हिंदु मंदिरों के पैसे को सरकार द्वारा वसूलने और मुसलमानों को हज करने पर सरकारी सब्सिडी पर भी कुछ नहीं बोलते हैं.
इसके विपरीत वे पाकिस्तानियों के द्वारा भारतीय सैनिकों के सर काट लेने और आतंकवादी गतिविधियों पर भी कुछ नहीं कहते हैं.प्रशांत भाषण के द्वारा काश्मीर को भारत का हिस्सा मानने से इन्कार करने के बावजूद पार्टी में बने रहना क्या साबित करता है?मुस्लिमो की बढती जन संख्या पर कुछ न कहना और उन्हें आरक्षण देने की बात करना,बांग्ला देशियों की घुसपैठ को नज़र अंदाज़ करना क्या साबित करता है?
ऐसा लगता है की हिंदु और हिंदुस्तान को कमजोर करते हुए पाकिस्तानी मानसिकता को बढ़ावा देना ही श्री अरविन्द केजरीवाल का मुख्य उद्देश्य है.