Friday, May 28, 2021

बिहार चुनाव का बिहारियों पर प्रभाव

बिहारियों की इच्छा थी कि बिहार को गुजरात,हरियाणा,पंजाब,तमिलनाडु और महाराष्ट्र बनाने के बजाय बिहार बना रहने दें बिहार के चुनाव में ईश्वर ने उनकी इच्छा पूरी कर दी.
अपनी जाति और मजहब के नेताओं को बिहार के चुनाव में गद्दी सौंप कर बिहारी अब दुसरे राज्यों में मजदूरी करने,रिक्शा और ठेला चलाने वापस जा रहे है.
बिहार के चुनाव में जदयू को 71 सीट और 80 सीट राजद को मिली,मतलब साफ है नितीश के सुशासन के बदले लालू का जातिवाद ज्यादा मजबूत साबित हुआ.
BIHAR के चुनाव में BIHARI और BAHARI के बदले जातिवाद के कारण बनी गूंगी,अंधी और BAHRI जनता चुनाव जीत गई है.
मोदी के DNA में विकास है,बिहार के DNA में जातिवाद और दुसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करना ठेला,रिक्शा चलाना है,NDA इसी कारण बिहार के चुनाव में हारी
बिहार में विकासवादी सोंच रखनेवाले चिराग पासवान की उम्मीदों का चिराग बुझाकर "बिहारत्व" को प्राप्त करनेवालों को  अब तेजस्वी का तेज देखने के लिए अब  तैयार रहना चाहिए.
पंजाब,महाराष्ट्र और गुजरात में लोकल मजदूर एक तो मिलते नही,मिलने पर भी बहुत महंगे मिलते है,बिहार के चुनाव के बाद उनकी इस  चिंता को बिहारी वहाँ जाकर दूर करेंगे
जनता का मत ईश्वरीय शक्ति का प्रकट रूप है,भले ही बिहार में "विकास पुरुष" हार गया और "विनाश पुरुष" जीत गए,लेकिन जनता के मत का आदर करना एकदम जरूरी है.