Tuesday, March 25, 2014

शंकराचार्य से हिन्दू नहीं बना,हिन्दुओं से शंकराचार्य बने हैं.

हर हर मोदी के नारे को महादेव या भगवान शंकर का अपमान बताने वाले शंकराचार्य स्वरूपानंद स्वयं भगवान शंकर और आदिगुरु शंकराचार्य का अपमान कर रहे हैं.उन्हें खुद को शंकराचार्य कहने का अधिकार इसलिए भी नहीं है कि शंकराचार्य एक धार्मिक पुरुष थे और उनका जन्म हिन्दू धर्म को बौद्ध धर्म के पाखण्ड से बचाने के लिए हुआ था,और स्वरुपानन्द ने हिन्दू धर्म को बचाने के लिए आजतक कुछ भी नही किया है.

हिन्दू गाय को माता के समान मानते हैं,और हिन्दुओ के ही हिन्दुस्तान में इतनी गायों को मारा जाता है कि हिन्दुस्तान दुनिया के देशों में गाय का मांस का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश हो गया है.हिन्दू गंगा को भी माँ मानता है,और गंगा नदी संसार की सबसे गन्दी नदी हो गई है.हिन्दू भारत देश को भारत माता के नाम से पुकारता है और भारत माता को कुछ लोग डायन कह कर बुलाते हैं.राम को हिन्दू अवतार मानते हैं और राम के बनाए रामसेतु को कुछ नेता तोड़ने की बात करते हैं.मकबूल फ़िदा हुसैन हिन्दू देवियों की नंगी तस्वीरें बनाते थे,इन सभी बातों का स्वरुपानन्द ने कभी विरोध नहीं किया.

क्रिकेट को धर्म और सचिन को भगवान कहने वाले नेताओं और मीडिया का विरोध इन्होने क्यों नही किया?असम,काश्मीर,पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दुओं के ऊपर हो रहे अत्याचारों का विरोध वे क्यों नही करते.ओवैसी 5 मिनट में हिन्दुओं को खत्म करने की बात करता है और ये चुप रहते हैं.कुछ महिला और पुरुष नेता अपनी मूर्तियाँ देवी देवता की तरह बनवा रहे हैं और ये चुप रहते हैं.

फायर फिल्म में स्त्री समलैंगिकों का नाम सीता और राधा रखा जाता है,रामलीला के नाम पर बेहूदा फिल्म बनाई जाती है,महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट राधा सेक्सी गाने पर ठुमके लगाती है,नंगी फिल्मो की हीरोइन सनी लीओन की फिल्म “रागिनी M.M.S.2” में हनुमान चालीसा गाया जाता है.इन सभी बातों का हिन्दू धर्म के सबसे बड़े धर्माधिकारी होने के नाते विरोध करना इनका धर्म होता,मगर स्वरूपानंद धार्मिक हैं ही नहीं वे धर्म से निरपेक्ष [सेकुलर] हैं.

पत्रकार द्वारा प्रश्न पूछना पत्रकार का धर्म है,पत्रकार की बातों का उत्तर देना धर्मगुरु का धर्म है,मगर पत्रकार की बात का उत्तर न देकर उसे थप्पड़ मारना अधर्म है.इस तरह का अधर्म स्वरूपानंद को करने का कोई अधिकार नही है.”मन न रंगाए रंगायो जोगी कपड़ा,दढ़िया बढ़ाए जोगी बन गए बकरा”वाली कबीर की बात धर्मगुरु को शोभा नही देती.

शंकराचार्य वे हिन्दुओ की वजह से बने हैं,शंकराचार्य की वजह से हिन्दू धर्म नही बना.शंकराचार्य को धर्मगुरु होने के नाते हिन्दू हितों की बात करनी चाहिए न की किसी नेता का समर्थन या विरोध

Saturday, March 15, 2014

अन्ना हजारे के क्रांति की मशाल बुझ चुकी है.

अन्ना हजारे गाँव से पूना,पूना से दिल्ली पहुंच कर महाराष्ट्र सदन में ठहरते है, और कम भीड़ होने के कारण बीमारी का बहाना करते हुए रैली में जाने से इन्कार कर देते हैं.मेरा नाम नहीं लेना,मेरी फोटो नहीं लगाना,जो करना है अपने दम पर करना जैसी बातें करने वाले अन्ना का घमंड कम भीड़ होने के कारण टूट गया.क्या शादी में कम भीड़ होने से कोई दूल्हा शादी करने से इन्कार कर देता है?उनका जादू आदमियों के बदले कुर्सियों के सर चढ़ कर बोल रहा था,ढेर सारी खाली कुर्सियाँ उन्हें सुनने को मौजूद थीं.
पलटी मारना केजरीवाल से कोई सीखे,मगर अन्ना हजारे पलटी मारने में भी केजरीवाल के गुरु हैं,गांधीवादी होने के बावजूद उन्होंने झूठ कहा की मेरी तबीयत ख़राब है.बाद में कहा कि मेरा समर्थन ममता को है,T.M.C.को नहीं.इससे पहले कहते थे कि मैं राजनीति में नहीं आऊंगा मगर राजनीतिज्ञ ममता से हाथ मिलाया,शायद इसे ही गुड़ खाकर गुलगुले से परहेज़ करना कहते होंगे.
व्यक्ति के विचारों का जब उसके कर्म से मेल होता है,तभी उसका महत्व होता है,केवल व्यक्ति या केवल विचार का कोई महत्व नहीं होता.अन्ना को याद रखना चाहिए कि काठ की हाँड़ी बार बार चुल्हे पर नहीं चढ़ती.उनके क्रांति की मशाल बूझ चुकी है,केवल धूँआ और राख ही उनके हाथ लगेगा.

Tuesday, January 28, 2014

बिन्नी केजरीवाल से बड़े नौटंकीबाज़ हैं.

नौटंकीबाजों की पार्टी “आप” से निकले विधायक बिन्नी ने अनशन करने में जबरदस्त नौटंकी करते हुए साढ़े तीन घंटे में फास्टेस्ट फ़ास्ट[अनशन] समाप्त कर दिया.दुनियाँ में एकलौते नौटंकीबाज़ केवल केजरीवाल ही नहीं हैं यही साबित करने के लिए बिन्नी ने अनशन की नौटंकी की.बहुत सारे लोग हर दिन 8 बजे नाश्ता करके 6 घंटा उपवास रखते हुए 2 बजे भोजन करते हुए अनशन करते हैं,उनसे भी गया गुजरा अनशन किया बिन्नी ने.अनशन, सत्याग्रह,धरना जैसे शब्द मजाक बन कर रह गए हैं.
हो सकता है रात का डिनर करने के बाद बिस्तर में रात भर के अनशन पर चले गये हों.चायनीज खिलौनों की तरह चायनीज अनशन भी हो सकता है,ये नही मालूम था.Fast का अर्थ उपवास या अनशन होता है,मगर fast का अर्थ तेज भी होता है,fasting भी fast हो सकता है इसकी जानकारी देने के लिए बिन्नी जी को हार्दिक धन्यवाद.बिन्नी जी का हमें हौसला बढ़ाना चाहिए ताकि वे अगले साल 4 या 5 घंटे का आमरण अनशन कर सकें.20-20 के क्रिकेट मैच से भी छोटा निकला इनका अनशन.अब तो कोई भी ऐसा अनशन कर लेगा.अनशन के बाद अंट-शंट बका भी है T.V. कैमरे पर.अनशन करने गये थे या अंट-शंट बकने,ये तो वे ही जाने,मगर अपना पेट भरने के चक्कर में बेचारे T.V. चैनलों के पेट पर लात नही मारना चाहिए था.अब ये बेचारे T.V. वाले सास -बहू के षड्यंत्रों के सिवा क्या दिखा सकते हैं?
वैसे बिन्नी जी के अनशन के वक़्त मोबाइल कॉल की इनकमिंग और आउट गोइंग डिटेल निकाली जाय तो बहुत कुछ पता लग सकता है.

Sunday, January 12, 2014

प्रशांत भूषण जैसे बुद्धिजीवी पाकिस्तान के बदले भारत में ही क्यों होते हैं?

प्रशांत भूषण जैसे बुद्धिजीवी क्या पाकिस्तान में भी पाए जाते हैं जो ये कह सकें कि”आजाद काश्मीर” भारत को सौंप दिया जाय?पाकिस्तान से “चंदा” खाने वाला आदमी ही केवल काश्मीर में जनमत संग्रह करवा कर काश्मीर को भारत से अलग करवाने की बात कर सकता है.वो सारे भारत में काश्मीर को अलग किया जाय या नहीं इस पर जनमत संग्रह की बात क्यों नहीं करता?केवल काश्मीर घाटी की जनता की भावना कद्र होनी चाहिए या सम्पूर्ण भारत के जनता की?
काश्मीर से सैकड़ों शहीदों की लाशों पर कुछ न बोलने वाला भूषण चाहता है कि भारतीय सेना काश्मीर से हटे और पाकिस्तानी सेना काश्मीर पर कब्जा कर ले.प्रशांत भूषण यदि प्रधान मंत्री बन जाय किसी कारण से तो हफीज सईद से ज्यादा खुश कौन होगा?
“आम आदमी पार्टी” जनमत संग्रह करवाने पर भरोसा करती है.यदि वे नौटंकी नहीं करते हैं तो इन चार बातों पर सम्पूर्ण भारत में जनमत संग्रह करवा कर देख लें.[1]काश्मीर भारत में रहे या पाकिस्तान में?[2]प्रशांत भूषण भारत में रहे या पाकिस्तान में?[3]प्रशांत भूषण मुक्त भारत होना चाहिए या नही?[4]प्रशांत भूषण को प्रशांत महासागर में डुबाया जाय या नहीं जहाँ वो ओसामा बिन लादेन की रूह से बातें कर सके.

Friday, January 10, 2014

अमर सिंह ने अमिताभ बच्चन को नहीं पहचाना.

श्री अमिताभ बच्चन को पहचानने में श्री अमर सिंह जैसे पढेलिखे,अनुभवी, और धनी नेता को गलत फहमी हो जाना आश्चर्य लगता है.अमर सिंह ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान राज ठाकरे के साथ एक ही मंच पर खड़े होने पर अमिताभ बच्चन को आड़े हाथों लिया.अमर सिंह ने पुरानी बातें याद दिलाते हुए कहा कि अमिताभ ने एक समय बाल ठाकरे के प्रति सम्मान जताते हुए कहा था की वे मेरे पिता समान हैं और जब बाल ठाकरे नहीं रहे तो अमिताभ राज ठाकरे के साथ हो गए.
अमिताभ बच्चन की निष्ठा पर सवाल उठाते हुए अमर सिंह ने कहा कि ”अमिताभ गुजरात में नरेंद्र मोदी के साथ हैं,यू.पी.में मुलायम सिंह के साथ हैं.पता ही नहीं चलता कि वे कब किसके साथ हो जाएंगे.”
सीधी सी बात है जो सबके साथ होता है,असल में वो किसी के भी साथ नहीं होता है,वो सिर्फ अपने साथ होता है.

Tuesday, January 7, 2014

देश की राजनीति बदलने के बजाय देश का भूगोल बदलने की बात करना गलत है.

देश की राजनीति बदलने की बात करने वाले देश का नक्शा बदलने की और भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात करते करते काश्मीर मुक्त भारत की बात करने लगे हैं.”आप”पार्टी को लगता है कि वो यदि काश्मीर पाकिस्तान को,असम बांग्लादेश को और लद्दाख,सिक्किम और अरुणांचल प्रदेश चीन को देने की बात करके दिल्ली वालों को मुफ्त पानी बिजली देने की बात करे तो उनकी बात का कोई बुरा नहीं मानेगा.काश्मीर पर जनमत संग्रह की बात करने वाले राम मंदिर पर जनमत संग्रह की बात क्यों नही करते?पाकिस्तान के प्रति इतनी उदारता क्यों?कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें फंड अमेरिका के साथ साथ पाकिस्तान से भी मिला है?”जैसा अन्न वैसा मन” वाली बात तो पूरी तरह इन पर लागु हो रही है,पाकिस्तान का खाएँगे तो पाकिस्तान का ही गायेंगे.
जिस जगह नीच से नीच आदमी के गिरने की संभावना खत्म हो जाती है,उस जगह से “आप”वाले गिरना शुरु करते हैं.ये अमेरिका से चंदा लेंगे,चलेंगे जापान की कार में,हुक्म इटली वालों का मानेंगे,खाएँगे भारत का और बातें पाकिस्तान की करेंगे.कुमार विश्वास अपनी कविताओं के लिए मुसलमानों से माफ़ी मांगते हैं और हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाते हैं.”आप”का नाम “आम आदमी पार्टी” से बदलकर “अल्लाहू अकबर पार्टी” कर देना चाहिए.
दिसम्बर में 5 सरकारे बनी,4 गम्भीरता पूर्वक कम कर रही हैं,नौटंकी सिर्फ दिल्ली में हो रही है.नौटंकी कितनी भी अच्छी हो ज्यादा दिन भीड़ नही खींच सकती.राखी बिड़ला के पिता का नाम भूपेन्द्र कुमार बिड़लान है,बिड़लान की बेटी यदि बिड़ला होती है तो सिर्फ इसलिए की बिड़ला देश के सबसे मशहूर घरानों में से एक है,ये भी अच्छी नौटंकी है.राखी बिड़ला भविष्य की मायावती बन सकती हैं,अंतर सिर्फ इतना होगा की मायावती के पास “कांशीराम”थे और इनके पास “खांसीराम” हैं.

Saturday, January 4, 2014

पलटी मारने में केजरीवाल का जवाब नही है.

चुनाव के बाद जितनी पलटियां केजरीवाल और उनकी पार्टी ने खाई है,वे भारतीय राजनीति में बेजोड़ हैं.नयी नवेली दुल्हन भी अपने मेहंदी के उतरने का इंतजार करती है,मगर इनसे उतना भी इंतज़ार करना मुश्किल लगा.रिश्वत लेने वालों के खिलाफ 2 दिन में फोन लाइन देने का वादा किये मगर अभी तक कोई फोन लाइन “आम आदमी” को नही मिली.चंदा इन्होने फोर्ड से लिया मगर गाड़ियाँ फोर्ड से खरीदने के बजाय टोयोटा से लीं.जबकि भारत सरकार की सरकारी गाड़ी एम्बेसडर है क्या उन्हें ये मालूम नही था?
विधानसभा में जदयू विधायक शोएब इकबाल ने खुद को गुंडा कहा उन्होंने उसका भी समर्थन ले लिया.दिल्ली की जनता से ये भी s.m.s.करवा कर नही पूछा कि उन्हें बंगला लेना चाहिए या नही?”आम जनता” तो झोपड़ों में रहती है.यदि झोपड़े में नही रह सकते थे,तो किसी “रैन बसेरे” में रह लेना चाहिए था,ताकि आम आदमी को भी लगता की ये वास्तव में आम आदमी हैं कोई नौटंकी बाज़ नही.इनसे इस बात की उम्मीद करनी बेकार है कि गुरु गोविन्द सिंह की भांति धर्म की रक्षा के लिए अपने बेटों की क़ुरबानी दे सकें,ये तो आए ही हैं सत्ता में अपने बेटे की झूठी कसम खा कर.
इनके द्वारा लगातार पलटियां खाने पर एक मित्र की कविता “अब तो दिल्ली में ये खुले आम होगा,चोर और सिपाही में दुआ सलाम होगा.चुनाव से पहले कहते थे इस अपराधी को फांसी,उस अपराधी को फांसी,चुनाव के बाद इधर खांसी,उधर खांसी.

Wednesday, January 1, 2014

जीवन का हर पल नया है.

जीवन का हर पल नया है.इस साल का हर दिन आपके लिए नया दिन और हर रात नई रात हो.भूतकाल की यादों और भविष्य की कल्पनाओं के दो पहाड़ों के बीच वर्तमान का फूल दब कर पीस न जाए इसकी कामना करते हुए नए साल के नए दिन की बधाइयाँ.