हर हर
मोदी के नारे को महादेव या भगवान शंकर का अपमान बताने वाले शंकराचार्य
स्वरूपानंद स्वयं भगवान शंकर और आदिगुरु शंकराचार्य का अपमान कर रहे
हैं.उन्हें खुद को शंकराचार्य कहने का अधिकार इसलिए भी नहीं है कि
शंकराचार्य एक धार्मिक पुरुष थे और उनका जन्म हिन्दू धर्म को बौद्ध धर्म के
पाखण्ड से बचाने के लिए हुआ था,और स्वरुपानन्द ने हिन्दू धर्म को बचाने के
लिए आजतक कुछ भी नही किया है.
हिन्दू गाय को माता के समान मानते हैं,और हिन्दुओ के ही हिन्दुस्तान में इतनी गायों को मारा जाता है कि हिन्दुस्तान दुनिया के देशों में गाय का मांस का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश हो गया है.हिन्दू गंगा को भी माँ मानता है,और गंगा नदी संसार की सबसे गन्दी नदी हो गई है.हिन्दू भारत देश को भारत माता के नाम से पुकारता है और भारत माता को कुछ लोग डायन कह कर बुलाते हैं.राम को हिन्दू अवतार मानते हैं और राम के बनाए रामसेतु को कुछ नेता तोड़ने की बात करते हैं.मकबूल फ़िदा हुसैन हिन्दू देवियों की नंगी तस्वीरें बनाते थे,इन सभी बातों का स्वरुपानन्द ने कभी विरोध नहीं किया.
क्रिकेट को धर्म और सचिन को भगवान कहने वाले नेताओं और मीडिया का विरोध इन्होने क्यों नही किया?असम,काश्मीर,पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दुओं के ऊपर हो रहे अत्याचारों का विरोध वे क्यों नही करते.ओवैसी 5 मिनट में हिन्दुओं को खत्म करने की बात करता है और ये चुप रहते हैं.कुछ महिला और पुरुष नेता अपनी मूर्तियाँ देवी देवता की तरह बनवा रहे हैं और ये चुप रहते हैं.
फायर फिल्म में स्त्री समलैंगिकों का नाम सीता और राधा रखा जाता है,रामलीला के नाम पर बेहूदा फिल्म बनाई जाती है,महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट राधा सेक्सी गाने पर ठुमके लगाती है,नंगी फिल्मो की हीरोइन सनी लीओन की फिल्म “रागिनी M.M.S.2” में हनुमान चालीसा गाया जाता है.इन सभी बातों का हिन्दू धर्म के सबसे बड़े धर्माधिकारी होने के नाते विरोध करना इनका धर्म होता,मगर स्वरूपानंद धार्मिक हैं ही नहीं वे धर्म से निरपेक्ष [सेकुलर] हैं.
पत्रकार द्वारा प्रश्न पूछना पत्रकार का धर्म है,पत्रकार की बातों का उत्तर देना धर्मगुरु का धर्म है,मगर पत्रकार की बात का उत्तर न देकर उसे थप्पड़ मारना अधर्म है.इस तरह का अधर्म स्वरूपानंद को करने का कोई अधिकार नही है.”मन न रंगाए रंगायो जोगी कपड़ा,दढ़िया बढ़ाए जोगी बन गए बकरा”वाली कबीर की बात धर्मगुरु को शोभा नही देती.
शंकराचार्य वे हिन्दुओ की वजह से बने हैं,शंकराचार्य की वजह से हिन्दू धर्म नही बना.शंकराचार्य को धर्मगुरु होने के नाते हिन्दू हितों की बात करनी चाहिए न की किसी नेता का समर्थन या विरोध
हिन्दू गाय को माता के समान मानते हैं,और हिन्दुओ के ही हिन्दुस्तान में इतनी गायों को मारा जाता है कि हिन्दुस्तान दुनिया के देशों में गाय का मांस का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश हो गया है.हिन्दू गंगा को भी माँ मानता है,और गंगा नदी संसार की सबसे गन्दी नदी हो गई है.हिन्दू भारत देश को भारत माता के नाम से पुकारता है और भारत माता को कुछ लोग डायन कह कर बुलाते हैं.राम को हिन्दू अवतार मानते हैं और राम के बनाए रामसेतु को कुछ नेता तोड़ने की बात करते हैं.मकबूल फ़िदा हुसैन हिन्दू देवियों की नंगी तस्वीरें बनाते थे,इन सभी बातों का स्वरुपानन्द ने कभी विरोध नहीं किया.
क्रिकेट को धर्म और सचिन को भगवान कहने वाले नेताओं और मीडिया का विरोध इन्होने क्यों नही किया?असम,काश्मीर,पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दुओं के ऊपर हो रहे अत्याचारों का विरोध वे क्यों नही करते.ओवैसी 5 मिनट में हिन्दुओं को खत्म करने की बात करता है और ये चुप रहते हैं.कुछ महिला और पुरुष नेता अपनी मूर्तियाँ देवी देवता की तरह बनवा रहे हैं और ये चुप रहते हैं.
फायर फिल्म में स्त्री समलैंगिकों का नाम सीता और राधा रखा जाता है,रामलीला के नाम पर बेहूदा फिल्म बनाई जाती है,महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट राधा सेक्सी गाने पर ठुमके लगाती है,नंगी फिल्मो की हीरोइन सनी लीओन की फिल्म “रागिनी M.M.S.2” में हनुमान चालीसा गाया जाता है.इन सभी बातों का हिन्दू धर्म के सबसे बड़े धर्माधिकारी होने के नाते विरोध करना इनका धर्म होता,मगर स्वरूपानंद धार्मिक हैं ही नहीं वे धर्म से निरपेक्ष [सेकुलर] हैं.
पत्रकार द्वारा प्रश्न पूछना पत्रकार का धर्म है,पत्रकार की बातों का उत्तर देना धर्मगुरु का धर्म है,मगर पत्रकार की बात का उत्तर न देकर उसे थप्पड़ मारना अधर्म है.इस तरह का अधर्म स्वरूपानंद को करने का कोई अधिकार नही है.”मन न रंगाए रंगायो जोगी कपड़ा,दढ़िया बढ़ाए जोगी बन गए बकरा”वाली कबीर की बात धर्मगुरु को शोभा नही देती.
शंकराचार्य वे हिन्दुओ की वजह से बने हैं,शंकराचार्य की वजह से हिन्दू धर्म नही बना.शंकराचार्य को धर्मगुरु होने के नाते हिन्दू हितों की बात करनी चाहिए न की किसी नेता का समर्थन या विरोध