Saturday, January 4, 2014

पलटी मारने में केजरीवाल का जवाब नही है.

चुनाव के बाद जितनी पलटियां केजरीवाल और उनकी पार्टी ने खाई है,वे भारतीय राजनीति में बेजोड़ हैं.नयी नवेली दुल्हन भी अपने मेहंदी के उतरने का इंतजार करती है,मगर इनसे उतना भी इंतज़ार करना मुश्किल लगा.रिश्वत लेने वालों के खिलाफ 2 दिन में फोन लाइन देने का वादा किये मगर अभी तक कोई फोन लाइन “आम आदमी” को नही मिली.चंदा इन्होने फोर्ड से लिया मगर गाड़ियाँ फोर्ड से खरीदने के बजाय टोयोटा से लीं.जबकि भारत सरकार की सरकारी गाड़ी एम्बेसडर है क्या उन्हें ये मालूम नही था?
विधानसभा में जदयू विधायक शोएब इकबाल ने खुद को गुंडा कहा उन्होंने उसका भी समर्थन ले लिया.दिल्ली की जनता से ये भी s.m.s.करवा कर नही पूछा कि उन्हें बंगला लेना चाहिए या नही?”आम जनता” तो झोपड़ों में रहती है.यदि झोपड़े में नही रह सकते थे,तो किसी “रैन बसेरे” में रह लेना चाहिए था,ताकि आम आदमी को भी लगता की ये वास्तव में आम आदमी हैं कोई नौटंकी बाज़ नही.इनसे इस बात की उम्मीद करनी बेकार है कि गुरु गोविन्द सिंह की भांति धर्म की रक्षा के लिए अपने बेटों की क़ुरबानी दे सकें,ये तो आए ही हैं सत्ता में अपने बेटे की झूठी कसम खा कर.
इनके द्वारा लगातार पलटियां खाने पर एक मित्र की कविता “अब तो दिल्ली में ये खुले आम होगा,चोर और सिपाही में दुआ सलाम होगा.चुनाव से पहले कहते थे इस अपराधी को फांसी,उस अपराधी को फांसी,चुनाव के बाद इधर खांसी,उधर खांसी.

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