श्री
अरविन्द केजरीवाल की मानसिकता हिंदुत्व और हिंदुस्तान के प्रति
कम,पाकिस्तानी नजरिये की ओर अधिक झुकी हुई नजर आती है.उनकी सभाओं में भारत
माता की तस्वीरों का हटाया जाना,वंदेमातरम् का गान न होना,गौ-हत्या पर कुछ न
कहना,राम कृष्ण चाणक्य महाराणा प्रताप शिवाजी इत्यादि पर कुछ न कहना उनके
हिंदुत्व विरोधी होने का पुख्ता प्रमाण है.कुमार विश्वाश द्वारा जब तब
हिंदु देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया जाता है.यही नहीं वे हिंदु मंदिरों के पैसे को सरकार द्वारा वसूलने और मुसलमानों को हज करने पर सरकारी सब्सिडी पर भी कुछ नहीं बोलते हैं.
इसके विपरीत वे पाकिस्तानियों के द्वारा भारतीय सैनिकों के सर काट लेने और आतंकवादी गतिविधियों पर भी कुछ नहीं कहते हैं.प्रशांत भाषण के द्वारा काश्मीर को भारत का हिस्सा मानने से इन्कार करने के बावजूद पार्टी में बने रहना क्या साबित करता है?मुस्लिमो की बढती जन संख्या पर कुछ न कहना और उन्हें आरक्षण देने की बात करना,बांग्ला देशियों की घुसपैठ को नज़र अंदाज़ करना क्या साबित करता है?
ऐसा लगता है की हिंदु और हिंदुस्तान को कमजोर करते हुए पाकिस्तानी मानसिकता को बढ़ावा देना ही श्री अरविन्द केजरीवाल का मुख्य उद्देश्य है.
इसके विपरीत वे पाकिस्तानियों के द्वारा भारतीय सैनिकों के सर काट लेने और आतंकवादी गतिविधियों पर भी कुछ नहीं कहते हैं.प्रशांत भाषण के द्वारा काश्मीर को भारत का हिस्सा मानने से इन्कार करने के बावजूद पार्टी में बने रहना क्या साबित करता है?मुस्लिमो की बढती जन संख्या पर कुछ न कहना और उन्हें आरक्षण देने की बात करना,बांग्ला देशियों की घुसपैठ को नज़र अंदाज़ करना क्या साबित करता है?
ऐसा लगता है की हिंदु और हिंदुस्तान को कमजोर करते हुए पाकिस्तानी मानसिकता को बढ़ावा देना ही श्री अरविन्द केजरीवाल का मुख्य उद्देश्य है.
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