Friday, November 22, 2013

तहलका संपादक तरुण तेजपाल के उपर होने वाले केस में नशे की हालत में होने का लाभ नहीं मिलना चाहिए.शराब अपने आप में भली या बुरी चीज नहीं है,अन्यथा जीसस क्राइस्ट,जरथ्रुस्त्र,उपेन्द्र नाथ अश्क,सरदार खुशवंत सिंह,विंस्टन चर्चिल,बाल ठाकरे जैसे नामी-गिरामी लोग शराब नहीं पीते. शराब यदि बुरी ही होती तो एलोपैथी के जन्मदाता हिप्पोक्रेटस भय,अनिंद्रा,थकान,सर्दी जुकाम में लेने की सलाह न देते.
कोई भी शराबी आज तक शराब पीकर किसी थाने में नहीं पहुँचा और न ही जंगल में रहने वाले किसी आदिवासी ने शराब पीकर किसी महिला के साथ बलात्कार किया.कोई कितनी भी शराब पी ले पहूँचता अपने घर पर ही है.
अलबत्ता शराब में ऐसी कोई चीज जरुर होती है,जिससे आप की असलियत बाहर आ जाती कि आप के अन्दर देवता बैठा है या जानवर,इसमें कोई एक्टिंग नहीं कर सकता है.बहुत से तथा कथित भले आदमी इसीलिए शराब का विरोध करते हैं की कहीं शराब पीने के बाद उनके अन्दर का जानवर लोगों को दिख न जाए.
शराब की आड़ में यदि तहलका संपादक बचना चाहे तो इसका घोर विरोध करते हुए उसे कानून के कटघरे में खड़ा करने के लिए सोशल मीडिया और महिला संगठनों को आगे आना चाहिए.

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