“राम लीला” के बदले “संजय लीला”नाम होना चाहिए था ,संजय लीला भंसाली की नवीनतम फिल्म का.इस फिल्म को ध्यान से देखने पर लगता है फिल्म केवल राम को बदनाम करने के लिए ही नहीं बनाई गई है,बल्कि गुजरात और हिन्दुओं को भी बदनाम करने के लिए भी बनाई गई है. ये फिल्म उत्तराखंड के बादल फटने के बाद बनाई गई है तथा ठीक चुनावों के समय रिलीज़ की गई है. मकसद एक दम साफ़ है इन चुनावों में भा. ज. पा. और मोदी को नुकसान करते हुए एक दल-विशेष की मदद करना.अन्यथा जिस प्रकार की हथियारों के बाजार को दिखाया गया है,वैसे बाज़ार शायद कभी बिहार और कश्मीर लगते होंगे,मोबाइल का प्रयोग करने वाले हीरो हीरोइन के ज़माने अर्थात् वर्तमान मोदी के गुजरात में तो असंभव है.इस फिल्म को धार्मिक हिंदु शायद ही देखे,अलबत्ता सेकुलर और अधर्मी जरूर देख सकते हैं.
Monday, November 18, 2013
“राम लीला” के बदले “संजय लीला”नाम होना चाहिए था ,संजय लीला भंसाली की नवीनतम फिल्म का.इस फिल्म को ध्यान से देखने पर लगता है फिल्म केवल राम को बदनाम करने के लिए ही नहीं बनाई गई है,बल्कि गुजरात और हिन्दुओं को भी बदनाम करने के लिए भी बनाई गई है. ये फिल्म उत्तराखंड के बादल फटने के बाद बनाई गई है तथा ठीक चुनावों के समय रिलीज़ की गई है. मकसद एक दम साफ़ है इन चुनावों में भा. ज. पा. और मोदी को नुकसान करते हुए एक दल-विशेष की मदद करना.अन्यथा जिस प्रकार की हथियारों के बाजार को दिखाया गया है,वैसे बाज़ार शायद कभी बिहार और कश्मीर लगते होंगे,मोबाइल का प्रयोग करने वाले हीरो हीरोइन के ज़माने अर्थात् वर्तमान मोदी के गुजरात में तो असंभव है.इस फिल्म को धार्मिक हिंदु शायद ही देखे,अलबत्ता सेकुलर और अधर्मी जरूर देख सकते हैं.
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बहुत अच्छा लिखा आपने
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