Saturday, December 7, 2013

साम्प्रदायिक हिंसा बिल का विरोध हर हाल में होना चाहिए.

रावण को चाहने वाला कोई हिंदु किसी मस्जिद में आग लगा दे,तब राम को चाहने वाला हिंदु भी इस साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल के चपेट में आ जायेगा.औरंगजेब, जिन्ना,और ओवैसी को चाहने वाला यदि किसी मन्दिर में आग लगा दे,तब अमीर खुसरों,रहीम,रस खान,जायसी,हज़रत निजामुद्दीन औलिया के रास्ते पर चलने वाला मुसलमान भी इस साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल की चपेट में आ जायेगा.
जिसने बलात्कार किये,घर-दूकान लुटे,कत्ल किये उन्हें सजा न देकर बहु-संख्यक समाज को सजा देना कहाँ का इन्साफ है?जिस व्यक्ति ने अपराध किये,ऐसे व्यक्तियों को पकड़ कर फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में तेजी से सुनवाई करवा कर मृत्यु दंड दे दिया जाए,तो किसी साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल की आवश्यकता नही रह जाएगी.मगर जो सरकार 1984 ईस्वी में मारे गए सिक्खों के हत्यारों को 29 साल बीत जाने के बाद भी सजा न दिलवा पाई हो,उससे इस बात की उम्मीद करना ही बेकार है कि वो ऐसा करेगी,हाँ अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए वह साम्प्रदायिक हिंसा बिल जरुर ला सकती है,जिसका विरोध हर हाल में होना ही चाहिए.

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